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लॉर्ड डलहौजी द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में किए गए प्रमुख सुधार

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लार्ड डलहौजी का परिचय

सोने की चिड़िया कहे जाने वाले पुराने भारत से आधुनिक भारत के निर्माण की नीव गवर्नर जर्नल लार्ड डलहौजी ने रखी थी। उनका कार्यकाल 1848 से 1856 था. उनसे पहले लार्ड ऑकलैंड (Lord Auckland) गवर्नर जनरल थे,जबकि उनके बाद लार्ड कैनिंग (Lord Canning ) गवर्नर जनरल बने,जिन्हें भारत का पहला वायसराय भी घोषित किया था। लार्ड डलहौजी ने अपने शासनकाल के दौरान भारत में 2 मुख्य सफलताएं हासिल की थी,पहला तो उन्होंने भारत के विभिन्न राज्यों का राजनैतिक एकीकरण किया और दूसरादेश में कई आर्थिक-सामजिक परिवर्तन किये।

लॉर्ड डलहौज़ी जब भारत  तो उन्होंने देखा कि, यहाँ के नेटिव रुलर्स की अपेक्षा अंग्रेज ज्यादा आछे शसक हैं,वास्तव में डलहौजी की नियत  ब्रिटिश साम्राज्य को बढाना था. इसलिए उसने ये नीति बनाई थी,जिसके अनुसार किसी राज्य में आनुवांशिक पुरुष उतराधिकारी ना होने की स्थिति में वहां के राजा की मृत्यु होने पर उस राज्य में अंग्रेजों का शासन शुरू हो जाएगा. इस नीति से डलहौजी ने अवध,कानपुर, नागपुर, झांसी जैसे कई राज्यों को अंग्रेजों के अधीन कर लिया था. इस नीति को के डोक्ट्राइन ऑफ़ लेप्स  (Doctrine of Lapse) नाम से जाना जाता है। 

लॉर्ड डलहौजी द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में किए गए प्रमुख सुधार निम्नलिखित हैं–

प्रशासनिक सुधार (Administrative Reforms)

डलहौजी का मुख्य उद्देश्य भारत में अंग्रेजों के शासन का एकीकरण करना थालॉर्ड डलहौजी ने गवर्नर जनरल के कार्यभार को हल्का करने के लिए बंगाल में एक लेफ्टिनेंट गवर्नर की नियुक्ति के लिए भी प्रोविजन बनाया. 1853 के पार्लियामेंट्री एक्ट (Parliamentary Act) के अनुसार गवर्नर जनरल को बंगाल के गवर्नर जनरल के कार्य से मुक्त कर दिया कम्पनी द्वारा  नयी हडपी गयी जगह को उसने “नॉन रेग्यूलेशन पद्धति” (Non-Regulation System) को लागू किया गया  जहां पर प्रशासनिक समस्याओं को सुलझाने के लिए प्रत्येक प्रदेश में एक कमिश्नर नियुक्त किया गयाऔर उन्हें काउंसिल में जिम्मेदार गवर्नर जनरल बनाया गयाउसने न्याय, पुलिस और जमीन समबन्धित मामलों की जिम्मेदारी डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को सौप दी थी

सैनिक सुधार (Military Reforms)

पंजाब,सिंध और अवध की जीत के बाद कम्पनी शासित राज्यों का क्षेत्र बढ़ गया था और भारत में मिलिट्री की प्रभाविता उत्तर भारत में ज्यादा हो गयी थी। इस कारण डलहौजी ने बंगाल के तोपखाना केंद्र को कलकता से मेरठ शिफ्ट कर दिया। 1865 में शिमला में एक सैन्य मुख्यालय स्थापित किया गयाजिससे कि शिमला में रहने वाले गवर्नर जनरल के सम्पर्क में आर्मी रह सकेसेना में तीन और रेजिमेंटें बनाई गई
डलहौजी ने फौजों को कलकता से पश्चिम की तरफ मूव (Move) करने का भी आदेश दे दीया था. डलहौजी ये बात साफ देख सकता था कि भारत में अंग्रेजों का भविष्य सशक्त आर्मी से ही सम्भव हैंजिसमें भारतीय और अंग्रेज सैनिकों के बीच में संतुलन हो,इस तरह कुछ भारतीय सैनिकों को हटाने के बाद 1856 में आर्मी में 2,23,000 भारतीय और 45,000 यूरोपियन बचे थे.डलहौजी को भारतीयों पर विशवास नहीं थाइसलिए उसने गोरखा रेजिमेंट बनाई पंजाब में एक अनियमित फ़ोर्स भी बनाई, इस रेजिमेंट ने 1857-58 में अंग्रेजो का काफी साथ दिया था

रेलवे विभाग (Department of Railway)

लॉर्ड डलहौजी ने भारत को जो अमूल्य खजाना दिया उसका नाम है भारतीय रेलवेभारत में सर्वप्रथम लार्ड डलहौजी के काल में 1853 में प्रथम रेलवे लाइन बम्बई से ठाणे के बीच चलाई गईअगले ही वर्ष कलकत्ता से रानीगंज कोयला क्षेत्र तक एक लाइन बिछाई गईभारत में रेलवे लाइन बिछाने के काम में सरकार का नहीं वरन्, ब्रिटिश पूंजीपतियों का पैसा लगा हुआ थालॉर्ड डलहौजी को भारतीय रेलवे का जनक भी माना जाता है।रेल चलाने के लिए डलहौजी ने व्यक्तिगत रूप से काफी प्रयास किया था।अंग्रेजों ने रेलवे में काफी पूंजी लगाई थी।

विद्युत तार (Bectric Telegraph)

लॉर्ड डलहौजी को भारत में विद्युत तार की शुरुआत करने का श्रेय भी दिया जाता है। 1852 ई० में विद्युत तार विभाग खोला था। 1852 में विद्युत तार विभाग के अधीक्षक के पद पर नियुक्त किए गएओ. औंघनैसी (O’Shanghnessy) के अथक प्रयासों से लगभग 4000 मील लम्बी तार लाइन बिछा दी गईजिससे कलकत्ता से पेशावर बम्बई और मद्रास तक देश के विभिन्न भागों को तार द्वारा मिला दिया गया

डाक सुविधा (Postal Reforms)

भारत में पोस्टल डिपार्टमेंट को स्थापित करने का श्रेय भी लार्ड डलहौजी को ही जाता हैं पूरे देश में विभिन्न शहरों में पोस्टल डिपार्टमेंट (Postal Department )को स्थापित किया गया इस तरह के पोस्ट ऑफिस से सरकार को राजस्व मिलने लगा, और आम-जन को भी आधुनिक पोस्टल सिस्टम का फायदा होने लगा
आधुनिक डाक व्यवस्था का आधार लार्ड डलहौजी के शासन काल में रखा गया थालॉर्ड डलहौजी ने डाक विभाग में कई सुधार किए।1854 में एक नया डाकघर अधिनियम पास किया गयाइस एक्ट के अंतर्गत 3 प्रेसिडेंसीयों में महानिदेशक नियुक्त किया गया। देश में दो पैसे की दर से पत्र भेजने की सुविधा शुरू की गई। डाक टिकटों का प्रचलन डलहौजी ने ही भारत में शुरू किया था।

शैक्षणिक सुधार (Educational Reforms)
 
डलहौजी के शासन काल में शिक्षा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण सुधार हुए.1853 में टामसन की व्यवस्था के अनुसार समस्त उत्तर-पश्चिमी प्रान्त (आधुनिक उत्तर प्रदेश), लोअर बंगाल और पंजाब में स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार भारतीय भाषाओं में शिक्षा का प्रस्ताव स्वीकार किया गया.जुलाई, 1854 में सर चार्ल्स वुड ने भारत सरकार को शिक्षा की एक नई योजना भेजी
लॉर्ड डलहौजी ने 1854 ई० में “वुड डिस्पैच” नीति को लागू किया। प्राथमिक शिक्षा से लेकर विश्वविद्यालय शिक्षा के लिए अच्छी योजना बनाई।, प्रमुख नगरों कोलकाता, मद्रास और मुंबई जैसी 3 प्रेसिडेंसीयों और प्रमुख नगरों में एंग्लो-वर्नाक्यूलर स्कूल खोले गए और शिक्षा निदेशक नियुक्त किया गया।
यह ऐसी नीति थी जिसने भारत में एक क्रांति के रूप में काम किया अगर आज हम भिन्न-भिन्न यूनिवर्सिटी में पढ़ पा रहे है या सपना देख पा रहे है तो इस सपने को देखने का हक़ हमें लॉर्ड डलहौजी ने ही दिया था. अगर इंसान को उसके बुरे कामों के लिए याद किया जाता है तो उसे उसके अच्छे कामों के लिए भी याद किया जाना चाहिए
शायद उस वक्त वो पहल न हुई होती तो आज हम यहाँ न होते जहा आज हम IIT और IIM जैसे संस्थान खोल चुके है, हमारे पास यह होते जरूर लेकिन हम वक्त से काफी पीछे होते..?
डलहौजी का रूडकी और अन्य प्रेजिडेंसी में इंजीनियरिंग कॉलेज बनाने में विशेष योगदान था. इसलिए उनहे भारत में प्रोफेशनल और टेक्निकल एजुकेशन (Professional and Technical Education ) का फादर भी कहा गया था

सामाजिक सुधार (Social Reforms)

डलहौजी ने राजपूतो में प्रचलित भ्रूण हत्या को रोकने के लिए कानून बनाये. उसने उड़ीसा के खोंड,मद्रास और सेन्ट्रल प्रोविनेंस में होने वाले इंसानों के बलिदान को भी रोका, जो इस  मान्यता से किया जाता था कि मानव का बिलदान देने से मिट्टी की उर्वकता बढ़ेगी

डलहौजी के द्वारा बनाये गये महत्वपूर्ण एक्ट (Important Acts by Lord Dalhousie)

  • डलहौजी के आने से पूर्व तक ये नियम था कि यदि कोई व्यक्ति धर्म परिवर्तन कर लेता हैं तो उसके पिता की सम्पति में उसका अधिकार नहीं रहता हैं, इस कारण भारत में कन्वर्जन की दर कम थी,लेकिन डलहौजी ने 1850 में एक रिलीजियस डिसेबिलिटी एक्ट पास किया जिसके अनुसार हिन्दू के कन्वर्ट होने पर भी उसकी पुश्तैनी सम्पति पर उसका अधिकार रहेगा.
  • उसने 1855 में विधवा पुन:विवाह अधिनियम भी पास किया जिसके कारण हिन्दुओं में विधवा का पुन:विवाह होना कानूनन शुरू हुआ, हालांकि इन सभी सामाजिक परिवर्तनों ने आम-जन में अंग्रेजों के खिलाफ रोष भर दिया
सार्वजनिक निर्माण विभाग (Public Works Department)

1854 ई० में लॉर्ड डलहौजी ने भारत में पहली बार सार्वजनिक निर्माण विभाग की स्थापना की।लार्ड डलहौजी से पहले मिलिट्री बोर्ड ही पब्लिक वर्क(Public Work) के कन्स्ट्रक्शन(Construction) का भी इंचार्ज(In-Charge) था,इसलिए सिविलियन वर्क (Civilian Work) को मिलिट्री बोर्ड द्वारा नजर अंदाज किया जाता था। लार्ड डलहौजी ने एक अलग से पब्लिक वर्क डिपार्टमेंट को स्थापित किया डिपार्टमेंट का मुख्य काम रोड, ब्रिज और सरकारी बिल्डिंग बनाना था. कंस्ट्रक्शन का काम देखने के लिए चीफ इंजिनयर और अन्य प्रशिक्षित इंजीनियरों को इंग्लॅण्ड से बुलाया जाता था डलहौजी ने ग्रैंड ट्रंक रोड का निर्माण पुनः शुरू करवाया। सिंचाई कार्यों पर भी ध्यान दिया गया8अप्रैल, 1854 को सिंचाई हेतु गंगा नहर खोल दी गईपंजाब में बारी दोआब नहर पर निर्माण कार्य की शुरुआत की गई। एक कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर डलहौज़ी ने 1854 ई. में एक स्वतंत्र विभाग के रूप में ‘सार्वजनिक निर्माण विभाग’ की स्थापना की।

वाणिज्य-सुधार (Commercial Reforms)

डलहौजी ने फ्री ट्रेड की नीति अपनाई डलहौजी ने भारत को अंगेजो का आर्थिक शोषण केंद्र बना दिया थाभारत के बन्दरगाहों को फ्री कर दिया औरअन्तरराष्ट्रीय वाणिज्य के लिए खोल दियाकराची, बम्बई और कलकत्ता के बन्दरगाहों पर लाईट हाउस बनाये गये उसकी इन नीतियों के कारण पूरे समुंद्री व्यापार पर अंग्रेजों का कब्ज़ा हो गया,क्योंकि उनके पास शक्ति और संसाधन थेइससे भारत को काफी आर्थिक नुकसान हुआ

निष्कर्ष (The conclusion)

इस प्रकार डलहौजी के आधुनिकीकरण के प्रयास औपनिवेशिक हितों से प्रेरित थे, लेकिन इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता कि उसके प्रयासों ने नए भारत के निर्माण में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।

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